केजरीवाल पहुंचे राम मंदिर
February 14, 2024BJP is Washing Machine ?
February 15, 2024अभी विपक्ष राम मंदिर के प्राण प्रतिश्ठा से उबरा भी नहीं था और एक महिने के अंदर ही प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अबू धाबी पहुंच गये. यूएई की राजधानी अबू धाबी में बने पहले हिन्दु मंदिर का उद्घाटन करने, पूजा अर्चना करने. उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के राश्ट्रपति षेख मोहम्मद जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया और कहा कि वे मानव इतिहास का एक सुनहरा अध्याय लिख रहे हैं. 27 एकड़ में फैले मंदिर परिसर की जमीन अबू धाबी के प्रिंस ने दान की है और इसके निर्माण में हर धर्म के लोग षामिल हैं.
विपक्ष पहले तो राम मंदिर के जल्द प्राण प्रतिश्ठा किये जाने का विरोध करता रहा, फिर आमंत्रण स्वीकार ना कर कुल्हाड़ी पर पैर मारता रहा. राम मंदिर के बाद भाजपा ने 2024 के चुनाव में 400 पार का लक्ष्य रखा है और उसे ही नहीं विपक्ष को भी लग रहा है कि ऐसा हो सकता है. 22 जनवरी को पूरा देष स्वस्फूर्त दीपावली मना रहा था. हर कोई ऐसा प्रसन्न था मानों उसकी मुराद पूरी हो गई हो. किसी भी अन्य त्यौहार में पूरा देष ऐसा प्रसन्न नहीं दिखता जैसा उस दिन दिखा. इस सैलाब से विपक्ष अभी उबरा भी नहीं था कि अबू धाबी के मंदिर की टाइमिंग ने उन्हें और पस्त कर दिया. विपक्ष चारों खाने चित्त है और बचा खुचा नितीष कुमार ने वापस भाजपा के सरकार के साथ सरकार बना कर इंडिया गठबंधन में दरार डाल दी है. नितीष कुमार ने इतनी बार पार्टीयों को बदला है कि वह भी एक रिकार्ड बन गया है. वे सीएम पद से इस्तीफा देते हैं और फिर सीएम बन जाते हैं. भाजपा राजनीति की ऐसी गंगा बन गई है जहां कोई भी पापी डुबकी लगाकर अपने पाप धो सकता है. महाराश्ट्र में आदर्ष घोटाले वाले अषोक चैहान ने भी भाजपा रूपी गंगा में डुबकी लगाकर राज्यसभा की टिकट प्राप्त कर ली है. भाजपा गांधी जी के अनुसार चल रही है. वह पाप से घृणा करती है पापी से नहीं. राजनीति में इतना तो अब स्वीकार्य हो ही चुका है कि आप आज जो कहते हैं वह सिर्फ आज के लिये लागू होता है कल के लिये नहीं. राजनीति में हर दिन नया होता है आप कल की बात को पकड़ कर बैठे रहिये. राजनीति नदी की तरह है वह बहती रहती है और जो लोग उसे तालाब समझते हैं वे भूल में रहते हैं. राजनीत में कुछ भी स्थायी नहीं होता क्योंकि वह बहती रहती है. कहा भी जाता है कि राजनीति में कोई स्थायी मित्र या षत्रु नहीं होता. जीवन को भी राजनीति की तरह ही देखने वाले सुखी रहते हैं. जो जीवन में आगे बढ़ना जानते हैं, मूव आॅन करना जानते हैं वे प्रसन्न रहते हैं. जो बीते को पकड़े रहते हैं वे दुखी रहते हैं, कविता लिखते हैं, षायरी लिखते हैं, सैड सांग सुनकर अपनी जिंदगी बिताते हैं.
आगामी चुनाव में विपक्ष के लिये यही विकल्प है कि वह अपने आप में परिवर्तन लाये और मूव आन करे या फिर पांच साल तक सैड सांग सुनकर अपना समय काटे.